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Israel Hamas War: गाजा में हमले के लिए AI का इस्तेमाल, जानें कैसे इजरायल की सेना हमास पर टेक्नोलॉजी के जरिए बरपा रही कहर

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Israel Hamas War: गाजा में हमले के लिए AI का इस्तेमाल, जानें कैसे इजरायल की सेना हमास पर टेक्नोलॉजी के जरिए बरपा रही कहर

Israel Hamas War Technology: गाजा पट्टी में इजरायल और फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के बीच 6 दिनों के सीजफायर खत्म होने के बाद फिर से हमले शुरू हो गए हैं. दावा किया जा रहा है कि गाजा में हुए इजरायली हवाई हमलों में ही अब तक 14 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. अब इसके साथ ही यह भी पता चला है कि चरमबंदी संगठन को खत्म करने के लिए 7 अक्टूबर को इजरायल में घुसकर हमास के क्रूर हमले के बाद इजरायल ने पूरे गाजा पट्टी क्षेत्र से आतंकवाद के खात्मे की कसम खाई है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसरायल इस हमले के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी के खास टूल्स का इस्तेमाल कर रहा है. इनका नाम है गॉस्पेल अलकेमिस्ट और डेप्थ ऑफ विजडम. ये सिस्टम खास तौर पर तैयार किए गए हैं जो टारगेट को लॉक कर खत्म करने के लिए गाइडेड कमान से लैस हैं. गाजा में हमास के साथ जंग में इन एआई टूल्स का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है.

दो साल पहले ही इजरायल ने कर ली थी तैयारी 2021 में इजरायल ने गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ अपने जवाबी कार्रवाई में 'ऑपरेशन गार्डियंस ऑफ द वॉल' शुरू किया था. 11 दिनों की लड़ाई को 'पहले एआई युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है. टूल्स से लिए गए डेटा का इस्तेमाल गाजा में टारगेट को हिट करने के लिए किया गया था.

'गॉस्पेल' जैसे सिस्टम का इस्तेमाल ऑटोमेटेड टूल्स को तेज रफ्तार से टारगेट को हिट करने के लिए किया जाता है. जरूरत के हिसाब से सटीक और हाई-क्वालिटी वाले इंटेलिजेंस सिस्टम में सुधार करके इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.

'गॉस्पेल' आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अपडेटेड इंटेलिजेंस के रैपिड ऑटोमेटेड एक्सट्रैक्शन से रिसर्चर के लिए एक रिकॉमेंडेशन तैयार करता है. इसका काम सिस्टम के रिकॉमेंडेशन और किसी व्यक्ति द्वारा की गई पहचान को पूरा मिलाना है. यानी यह खुफिया जानकारी की पुष्टि और कार्रवाई में मददगार है.

2021 के संघर्ष में ह्यूमन इंटेलिजेंस, विज़ुअल इंटेलिजेंस और सिग्नल इंटेलिजेंस से डेटा लिए गए थे. सटीक हमलों के ऑपरेशन के लिए डेटा को सिस्टम में फीड किया जाता है. सैटेलाइट, ग्राउंड इंटेलिजेंस इंफोर्मेशन और सर्विलांस से मिले डेटा सभी सिस्टम में इंस्टॉल हैं. ये हमले को अचूक बनाते हैं.

तकनीक के जरिए 12000 से अधिक टारगेट को किया हिट इजरायल डिफेंस फोर्स ने 2 नवंबर के अपने आर्टिकल में दावा किया कि 27 दिनों की लड़ाई में 12000 से ज्यादा टारगेट को हिट किया गया. यानी एक दिन में करीब 444 टारगेट हिट हुए. टारगेट में इजाफा एआई से मिले डेटा की वजह से है. इससे पहले इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और मैट्रिक्स डिफेंस ने ऑटोमेटेड-टारगेट डिटेक्शन सिस्टम डेवलप करने के लिए समझौता किया था. राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने स्पाइस बम और सर्विलांस के लिए इस्तेमाल होने वाली दूसरी टेक्नोलॉजी में एआई को शामिल किया है.

+972 मैग और लोकल कॉल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'गॉस्पेल' ऑटोमेटेड रेट से टारगेट बना सकता है. यह एआई सिस्टम अनिवार्य रूप से हमलावरों के पूरे ग्रुप को एक साथ टारगेट कर सकता है.

एआई की मदद से बना हमलावरों का डाटाबेस 'ब्लूमबर्ग' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि फायर फैक्ट्री म्यूनिशन लोड (युद्ध सामग्री भार) का कैल्कुलेशन कर सकते हैं. 'गार्जियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट डिविजन ने आईडीएफ को 30,000 से 40,000 संदिग्ध हमलावरों के बीच एक डेटाबेस बनाने में मदद की है. इन्हें निशाना बनाया गया. आईडीएफ के प्रमुख के रूप में काम कर चुके अवीव कोचवी ने कहा कि टारगेट डिविजन एआई की क्षमताओं से लैस है. इसमें सैकड़ों अधिकारी और सैनिक शामिल हैं.

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Israel Hamas War: गाजा में हमले के लिए AI का इस्तेमाल, जानें कैसे इजरायल की सेना हमास पर टेक्नोलॉजी के जरिए बरपा रही कहर